एक दिन दुनिया के अधिकांश
देशोँ नेँ मिलकर एक केँकड़ोँ की प्रतियोगिता आयोजित
की। इस केँकड़ा Competition मेँ भारत नेँ भी हिस्सा लिया था। प्रतियोगिता
मेँ भाग लेनेँ के लिए सभी देशोँ के प्रतियोगी अपनेँ साथ टोकरी
भर-भरकर केँकड़ोँ को साथ लाये हूए थे। की शर्त थी, कि टोकरी के ढक्कन को खोलना
है और
केँकड़ोँ के बाहर निकलनेँ पर पुन: उन्हेँ टोकरी के अंदर डालना है, और जो भी देश अपनेँ केकड़ोँ
को ज्यादा टोकरी मेँ जमा करेगा वही विजेता होगा। Competition शुरू हूआ, सभी देशोँ नेँ अपनेँ टोकरी
के ढक्कन निकाले और केँकड़ोँ को अपनेँ तरीकोँ से
पुन: टोकरी के अंदर डालनेँ मेँ लग गये। अमेरीका के व्यक्ति नेँ
अपनेँ Scientific method के Through केँकड़ोँ को टोकरी
के अंदर लानेँ मेँ अपना योगदान देनेँ लगे लेकिन फिर भी उन्हे मात्र 40 Percent ही Success प्राप्त हूई। China वाले कुम्फु कराटे के Through केवल 50
Percent ही
केँकड़ा टोकरी के
अंदर जमा कर पाये। जापान वालोँ ने अपने Technology
के through
मात्र
60 Percent ही जमा किये।
भारत का जो व्यक्ति Competition मेँ हिस्सा लिया था, चुपचाप कोनेँ मेँ खड़ा
होकर चना खाये जा रहा था, और सिर्फ तमाशा देख रहा था। और
भारत को छोड़कर सभी देश केँकड़ा पकड़नेँ मेँ लगे थे। प्रतियोगिता
का Time खत्म हो गया सभी अब Result के इंतजार मेँ थे। जब Result
की
घोषणा खत्म हुई तब सबके होश उड़ गये क्योँकि Winner भारत का वह
व्यक्ति था जिसनेँ कुछ भी नहीँ किया था बस कोनेँ मेँ खड़ा था। जब Press
reporters उस
व्यक्ति के पास गये और पुछे-" कि आपनेँ तो टोकरी की
ढक्कन खोली थी और आप कोनेँ मेँ खड़े होकर बस तमाशा देख रहे थे तो फिर आपको
जीत कैसे मिल गई? आपकी जीत का क्या कारण है?" उस व्यक्ति नेँ हँसते हुए
कहा-" इस Competition का शर्त था कि जिसके टोकरी मेँ भी ज्यादा
केँकड़े होँगे वो जीतेगा और मैनेँ ढक्कन खोलनेँ के बावजुद
भी एक भी केँकड़ा टोकरी से बाहर नहीँ निकला क्योँकि भारत के केँकड़े विचित्र होते हैँ, जब भी कोई केँकड़ा टोकरी से
ऊपर उठना चाहता है तो दुसरा केँकड़ा उसकी टांग खीँच देता
है जिससे वो उस टोकरी से बाहर
नहीँ निकल पाता, इसीलिए मैँ जीत गया क्योँकि मेरे सारे केँकड़े टोकरी के
अंदर ही
हैँ।
हमारा समाज भी इन्हीँ
केँकड़ोँ की तरह ही है जब भी हम सफलता की सीढ़ी
चढ़नेँ वाले होते हैँ तभी हमेँ उस सीढ़ी मेँ चढ़नेँ से पहले ही
समाज हमारेँ पाँव खीँचनेँ लगता है। आज आपको कोई पुछेगा कि
बेटा/बेटी आप क्या बनोगे? तब यदि आपनेँ कुछ बड़ी सोच उनके सामनेँ
रख दी तभी वो तुरंत आपको निरोत्साहित कर देँगे कि तुम जो सोँच रहे
हो वो कभी नहीँ बन सकते।
आज लोगोँ को अपनेँ उन्नति, से मतलब नही दुसरोँ की अवनति
से मतलब है। समाज हम जैसे आम नागरिकोँ के मिलनेँ से ही बना है और जिस
दिन प्रत्येक व्यक्ति अपनेँ सोँच के नजरिया को सही कर लेँगे तब
उन्हेँ दुसरोँ की टाँग
खीँचनेँ मेँ कोई भी दिलचस्पी नजर नहीँ आयेगी। समाज
का मुख्य कर्तव्य है खुद मेँ अच्छा परिवर्तन और दुसरोँ के लिए
बेहतरीन परिवर्तन लाना। समाज
की उन्नति हमारी उन्नति है।
हम सुधरेँगे समाज सुधरेगा क्योँकि हमसे ही समाज का
निर्माण हूआ है।
हमेँ केँकड़ोँ की भाँति दुसरे
की टाँग नहीँ खीँचना है बल्कि एक सच्चा
इंसान बनकर स्वयं को ऊपर
उठाना है ही साथ ही दुसरोँ के लिए हर वो संभव मदद
करनीँ है जितना कि हमसे हो सके।
स्वयँ बढ़ेँगे और दुसरोँ को भी बढ़ायेँगे यह हमारा उद्देश्य
होना चाहिए, क्योँ कि आप सब जानते हैँ
हमसे ही समाज का निर्माण हुआ है। आज यदि भारत को बदलना है तो
हमेँ समाज को बदलना पड़ेगा और समाज को बदलनेँ के लिये हमेँ पहले स्वयं को बदलना
पड़ेगा। कल के Article
मेँ
हमनेँ आत्मविश्वास के बारे मेँ थोड़ी चर्चा की
थी और समाज के चंद टांग खीँचनेँ वाले लोग आपके आत्मविश्वास को तोड़नेँ मेँ कोई कसर
नहीँ छोड़ेँगे लेकिन हमेँ और आपको अपनेँ आत्मविश्वास को बनायेँ रखना है। उनकी
निरोत्साहित करनेँ वाली बातोँ को लोड नहीँ लेना है और हमेँ अपनेँ बल पर ऊपर उठना
है, आगे बढ़ते जाना है, टोकरी से बाहर निकलना है और
सफल होकर, समाज के टांग खीँचने वालोँ को दिखा देना है लेकिन चाहे जो हो
जाये अब हम या आप ना तो किसी की टाँग खीचेँगे, और नहीँ किसी के मार्ग मेँ
रूकावट पैदा करेँगे। आप आज इस Article
को
पढ़नेँ के बाद आप अपनेँ आपसे ये Promise जरूर कीजियेगा कि आपको कमजोर
करनेँ वाली किसी भी बात को जो आपके सफलता मेँ As a Resistance की तरह काम करे उसे Load
लेकर
आपको निराश या हताश नहीँ होना है साथ ही किसी को ऐसा भी न बोलेँ जिससे कि सामनेँ
वाले को टांग खीँचने का एहसास हो और आपकी वजह से कोई दुखी व निराश हो।
इसलिये इस लेख को पढ़नेँ के बाद इस सिध्दांत को जरूर
अपनायेँ कि
"टाँग खीँचना
बंद करेँ और भारत को सुखी-संपन्न करेँ।"