एक लड़का अपनेँ
पिताजी के साथ अपनेँ मामाजी के घर जानेँ के लिये तैयारी कर रहा था **
ऐसे ही भीषण गर्मी का दिन था। अपनेँ घर से उस लड़के के मामा घर की दुरी मेँ सैकड़ोँ
किलोमीटर का अंतराल था। इसलिये उन्होँनेँ पैदल जानेँ से बचनेँ के लिये एक घोड़े का
बंदोबश्त किया और अब
लड़का,
उसका पिता और घोड़ा तीनोँ सफर के
लिये निकल पड़े।
पिता नेँ उसके पुत्र
को घोड़े पर बिठा दिया और घोड़े की लगाम पकड़कर उसके पिताजी पैदल चलनेँ लगे।
अब बाप बेटा दोनोँ
मस्त बातचीत करते हूये सफर का मजा ले रहे थे कि अचानक दो अन्य यात्री उस रास्ते से
गुजरे और पुत्र को घोड़े मेँ बैठा देखकर एक व्यक्ति नेँ कहा- कैसा फालतू और नालायक
बच्चा है?? इसका बाप पैदल चल रहा है और ये मस्त घोड़े पर
बैठकर आनंद ले रहा है।
उसका बेटा स्वाभिमानी
था और उसे ये बातेँ चुभ गईँ,
उसका दिल टूट गया।
वह फौरन घोड़े से
नीचे उतरा और अपनेँ पिताजी से कहा बाबुजी अब आप आकर थोड़ा बैठ जाइये मैँ पैदल
चलूँगा।
अब लड़का लगाम पकड़े
पैदल चलनेँ लगा। कुछ दुरी तय करनेँ के पश्चात् जब वो लोग एक गाँव से होकर गुजरे तब
गाँव के लोगोँ नेँ उसके
पिताजी का उपहास करते हूये कहा कि कैसा बाप है!! जो खुद घोड़े पर आराम
से बैठा है और बेचारा उसका बेटा पैदल चल रहा है। इन बातोँ को सुनकर उसके पिताजी को
बहूत दुख लगा और वह भी घोड़े से उतरकर पैदल चलनेँ लगा। अब दोनोँ बाप बेटे पैदल चल
रहे थे। कुछ देर बाद फिर से कुछ लोगोँ नेँ व्यँग्य करते हूये कहा कि ये दोनोँ कैसे
पागल हैँ जो घोड़ा रहते हूये भी पैदल जा रहे हैँ मुर्ख कहीँ के।
अब दोनोँ फिर उलझन
मेँ पड़ गये कि क्या किया जाये।
फिर दोनोँ बाप बेटे
एक साथ उस घोड़े पर चढ़कर आगे की दुरी तय करनेँ लगे।
अब कुछ दुरी तय
करनेँ के बाद फिर दो आदमी नेँ उनसे कहा कि कैसे दो पागल इंसान हैँ ये तो घोड़े की
जान लेकर ही छोड़ेँगे,
इन लोगोँ का शायद घोड़े को मारनेँ
का ही इरादा है। पिता पुत्र दोनोँ ही
घबरा गये और घोड़े से नीचे उतर आये और दोनोँ एक पेड़ के नीचे छाँव मेँ सिर पकड़कर बैठ
गये और सोचनेँ लगे कि ये दुनिया अब हमेँ किसी भी हाल मेँ जीनेँ नहीँ देगी।
लड़के के पिताजी समझदार
थे इसलिये उसके पुत्र को समझाते हूये बोले कि देखो बेटा आज एक बात अपनेँ मन मेँ
गाँठ बाँध लो। जिँदगी मेँ हमेशा अपनेँ भीतर की आवाज
को ही सुनना यदि बाहर की फालतु आवाजेँ सुनोगे तो यकीनन कभी भी तुम अपनेँ मुकाम तक नहीँ
पहुँच सकते।