HamariSafalta.Com (HSC) पर आज मैँ आप सभी Readers से मिलवाना चाहूँगा एक ऐसे शख्स को जिन्होँने मुझे ज्ञान व संस्कार दिया, जो मेरे प्रथम गुरू हैँ। जिन्होँने ही मेरी उंगलियाँ पकड़कर मुझे लिखना सिखाया और शायद इन्हीं के चलते ही हमारी सफलता पुस्तक की इस बेहतरीन वेबसाईट का निर्माण मैँ कर पाया।
उनके बारे मेँ हम कुछ बता देँ-
आप न सिर्फ एक बेहतरीन शिक्षक हैँ बल्कि कई बच्चोँ के भविष्य के निर्माता भी हैँ, उनमेँ से मैँ भी एक हूँ।
एक शिक्षक, डाँस कोरियोग्राफर, प्लेयर कोच, एंकर और सबसे बड़ी बात आप एक मोटिवेशनल स्पीकर हैँ। कई रूप हैँ आपके।
इतनी महान हस्ती से आईये रूबरू होते हैँ और सुनते हैँ उनकी खुद की मुँहजबानी:-
हमारी सफलता (HSC):- प्रिय गुरूजी HamariSafalta.Com के Readers को अपनेँ बारे मेँ कुछ बताईये।
गुरूजी:-
मेरे बचपन ने पिताजी के कठोर नियम, उनके आदेशानुसार गरीबी युक्त कृषि कार्य की कठोरता को सहा है तथा अभावोँ के कारण समस्याओँ को देखा है। उक्त समस्यायेँ जब-जब मेरे समक्ष होते, मेरे बाल-मन मेँ एक आग उठता. मुझे ऐसी घुटन भरी जिँदगी नहीँ चाहिये। मुझे ऐसे कुछ कर गुजरना है जिससे मेरी एक अलग पहचान हो।
घरवालोँ ने मेरी शिक्षा बीच मेँ ही रोक दी जिससे मुझे प्राथमिक शाला का ही शिक्षक बनके रह जाना पड़ा। पर मैँ निराश नहीँ हुआ क्योँकि जानता था कि बड़ा से बड़ा वृक्ष भी पहले मात्र एक नन्हा सा अंकुर ही होता है। और आज मैँ संतुष्ट हूँ कि उन नन्हेँ-नन्हेँ बच्चोँ को जो भी मैने एक गुना दिया उसी को प्रकृति ने कई गुना करके मुझे वापस भी किया है।
परिणाम स्वरूप आज मैँ संस्कृत विभाग का व्याख्याता हूँ, साथ ही और भी कई सफलता प्राप्त कर एक तरह से अभाव से मुक्त संतोष भरा जीवन जी रहा हूँ। इस तरह हम किसी भी कार्य को छोटा न समझेँ उसी कार्य को हम जब अलग ढंग से करते हैँ तो वही हमेँ बुलंदी तक पहुँचाता है।
हमारी सफलता (HSC):- गुरूजी लगभग 35-35 वर्षोँ से आप बच्चोँ को पढ़ा रहे हैँ अभी भी Continue.. हैँ। बच्चोँ मेँ अच्छे संस्कार कैसे विकसित किया जाये।
गुरूजी:-
आज के नन्हें नन्हें बच्चे ही इस वसुंधरा के भविष्य हैं। आज ये उचित शिक्षा के अभाव अर्थात संस्कार ज्ञान के अभाव में दिग्भ्रमित होते जा रहे हैं। इस संस्कार ज्ञान के लिए वो जिस
माहौल मेँ पल रहे हैँ, उसे स्वच्छ बनाना होगा तथा औपचारिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा भी देना होगा।
हमारी सफलता (HSC):-जब भी आपसे मुलाकात होती है, आप हमेशा Active रहते हैँ। खुद को ऐसे Active & Motivate रखनेँ का कोई Secret...
गुरूजी:- खुद को निरंतर Active और Motivate रखने के लिये मैँ तीन फार्मूला अपनाता हुँ।
प्रथम- अपनी अभाव से भरी पिछली जिँदगी की ओर मुड़कर देख लेता हूँ।
द्वितीय- मेरे आदर्श गुरूओँ की शिक्षा को याद कर लेता हूँ।
तृतीय - प्रेरक-पुस्तकोँ का अध्ययन कर लेता हूँ।
इस तरह मैँ ताजगी से लबालब हो जाता हूँ।
हमारी सफलता (HSC):- गुरूजी आपकी नजर मेँ सफलता किसे कहेँगे?
गुरूजी:- सफलता की परिधि अपरिमित है इसे पूर्णत: परिभाषित नहीँ किया जा सकता। अपनेँ-अपनेँ नजरिया के अनुसार सफलता का स्वरूप होता है। मेरे अनुसार:- "लोगोँ के अनंत भीड़ मेँ अपनी एक अलग पहचान की प्राप्ति ही सफलता है। जिसके परिणामस्वरूप हमसे लोग मिलना चाहेँ, बोलना चाहेँ, सुनना चाहेँ और अनुकरण करना चाहेँ।"
हमारी सफलता (HSC):-
संघर्ष ही जीवन है, इतनेँ बड़े मुकाम तक पहुँचने मेँ आपको भी Struggle करना पड़ा होगा। आपकी नजर मेँ Successful बननेँ मेँ Struggle का कितना महत्व है!!
गुरूजी:- संघर्ष ही जीवन है,' मुझे तो जीवन के हर मोड़ मेँ संघर्ष ही करना पड़ा है। यही सफलता का प्रथम गुरूमंत्र है। ठोकरोँ से लड़ना ही संघर्ष है-
"रंग लाती है हीना पत्थर पे घीस जाने के बाद।
सुर्खरू होता है इन्साँ ठोकरेँ खानेँ के बाद।।"
हमारी सफलता (HSC):- आदमी को सफलता कैसे मिलती है या कहुँ हम सफल कैसे हो सकते हैँ।
गुरूजी:- सर्वप्रथम हमेँ अपनी नजरिया को सकारात्मक बनाना होगा फिर एक राह निश्चित करना होगा और इस राह मेँ पागल दिवाने की तरह प्रेम करना होगा। मंजिल तक पहुँचने के लिये ध्यानस्थ प्रयास करना होगा फिर तो सफलता चरण चुमेगी ही।
हमारी सफलता (HSC):- आज की Generation मेँ सब नौकरियोँ के पीछे भाग रहे हैँ तो क्या किताबी Knowledge ही जरूरी है। आपकी राय मेँ Knowledge और किताबी Knowledge मेँ क्या Different है।
गुरूजी:-
आज की पीढ़ी सरकारी नौकरी के पीछे पड़ गई है। यह इनकी गलती नहीँ है। मनुष्य का यह स्वभाविक गुण है जैसा माहौल होता है वैसा ही अपने आपको ढाल लेता है, परन्तु यह एक छोटी सोच का परिणाम है। एक छोटी सी नौकरी मिल गई जिँदगी से समझौता कर लिया, यह तो सफलता नहीँ हुई। यदि धन-प्राप्ति ही सफलता मानी जाये तो ऐसा धनपति कोई भी नौकरी पेशा वाला आज तक इतिहास मेँ नहीँ हुआ है।
किताबी- ज्ञान अर्थात् औपचारिक शिक्षा जो कि हमेँ एक सीमा तक सफल कर सकती है पर अनौपचारिक शिक्षा एक दायरे से हमेँ बाहर ले जाती है और चहुँमुखी प्रतिभा से युक्त कर जीवन के हर पहलू मेँ सफलता दिलाती है।
हमारी सफलता (HSC):- गुरूजी यदि हम सफल हो जायेँ तो अपनी सफलता को कैसे बरकरार रखेँ।
गुरूजी:-
पौधे लगाना सरल है परन्तु उसे पालना उतना ही कठिन है। एक बार सफलता हासिल हो जाये और सोचेँ कि अकर्मण्य बन जायेँ और सफलता बरकरार रहे तो यह असंभव है। इसके लिए हमेँ
नई-नई सफलता प्राप्ति मेँ निरंतरता बनाए रखना होगा।
"अभी तो और मुकाम बाकी है- अभी तो और इम्तिहान बाकी है।
अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमीन- आगे सारा आसमान बाकी है।।"
हमारी सफलता (HSC):- सेहत और सफलता दोनोँ का चोली- दामन का साथ है। आपको सब नवाँ गुरूजी से संबोधित करते हैँ क्योँकि हमारे अनुसार आपकी उम्र 53 वर्ष होने के बावजुद आप बहुत ही Young दिखते हैँ, गुरूजी आपके सेहत का कोई Secret..
गुरूजी:-व्यस्त रहो, मस्त रहो- स्वस्थ रहो- अर्थात् समय का सदुपयोग सबसे बड़ा लाभ है और समय की बरबादी सबसे बड़ी हानि है।
इस नियम का दृढ़ता से पालन करते हुए यह भी मानता हूँ कि स्वस्थ्य तन मेँ स्वस्थ्य मन का निवास होता है और स्वस्थ्य मन कभी हार नही मानता, बीमारी से हार नहीँ मानता अपितु बीमारी हार मान लेता है।
हमारी सफलता (HSC):- आप HamariSafalta.Com (HSC) के Readers को क्या संदेश देना चाहेँगे।
"हमारी सफलता" मात्र सुवाक्योँ का संयोजन नहीँ है अपितु कई पीढ़ियोँ के ज्ञान का अक्षुण्ण और अकुत भण्डार है। जिसे मेरे किरण नेँ, इस नवोदित विचारक लेखक ने अपने प्रतिष्ठित पथ प्रदर्शक गुरूओँ से, शिक्षकोँ से, विश्व के कीर्तिमान अनमोल पुस्तकोँ से और अपने खट्टे- मीठे अनुभवोँ से अर्जन किया है।
मुझे तो इस पुस्तक के कुछ अंशोँ के अध्ययन मात्र से अपार हर्ष और अगाध गर्व की अनुभूति हुई। मैनेँ तो एक बीज का आरोपण किया था जो एक फलदायक पौधे के रूप मेँ आपके समक्ष प्रकट होने जा रहा है। यह तो मेरे अन्तस्तल का उदगार है जो कि स्वभाविक है। मेरा यह उद्गार और लेखक का प्रयास तथा उद्देश्य तभी सार्थक माना जायेगा जब यह आपके मन मेँ इस भावना का संचार करने मेँ समर्थ हो जायेगा कि मैँ कौन हूँ?, मुझे क्या करना है? और मैँ क्या कर सकता हूँ?
एक चीनी कहावत है- "बुध्दिमान मनुष्य अपने अनुभवोँ से सिखता है तथा अधिक बुध्दिमान मनुष्य दुसरोँ के अनुभवोँ से सिखता है।"
हमेँ विश्वास है आप अधिक बुध्दिमान हैँ और आप जानते हैँ- 'सीखना बंद तो जीतना बंद।'
इस पुस्तक हमारी सफलता का जरूर अध्ययन करेँ और इसकी बेहतरीन वेबसाईट
HamariSafalta.Com से जुड़े रहेँ और साथ ही सफलता प्राप्त कर अपनेँ जीवन का कार्यान्तरण करेँ।
अंतिम मेँ यह कहना चाहुँगा:-
"अपनी जमीँ, अपना आकाश पैदा कर..
एक नया इतिहास रचाकर
मांगने से कब मिलती है जिँदगी दोस्तोँ
अपने हर कदम पे एक नया विश्वास पैदा कर...।"
आपकी समालोचना की प्रतिक्षा मेँ.
श्री सुंदरलाल पटेल
व्याख्याता संस्कृत विभाग
शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बरमकेला।
मोबाईल नं.- 09406331787
Dear Friends, ऊपर आपनेँ जिन महान हस्ती के साक्षात्कार पढ़े उन्हेँ मैँ अपना भगवान मानता हूँ। हमेँ आज बहुत खुशी हो रही है कि Chatting की सर्विस मेँ पहली Interview उनकी पेश हुई।
उनकी व्यस्तता भरी जीवन मेँ उन्होँनेँ "हमारी सफलता" के लिये जो अपनेँ कीमति समय दिये उसके लिये हमारी सफलता की तरफ से बहूत बहूत आभार।
हम गुरूजी के बहुत आभारी हैँ और यही उम्मीद करते हैँ कि उनका आशिर्वाद भरा हाथ हमारे सिर पर हमेशा रहे साथ ही भगवान से यही प्रार्थना है वो और भी कामयाब बनेँ और नई -नई सफलता की गाथाएँ लिखेँ।
आप ऊपर दिये इस नं. 09406331787 पर उनसे संपर्क कर सकते हैँ।
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