भोजन
मुफ़्त में नही मिलता
एक राजा ने अपने सभी
सलाहकारों को बुलाया और उनसे बीते इतिहास की सारी समझदारी भरी बातों को लिखने के
लिए आदेश दिया ताकि आने वाली पीढ़ी तक यह बातें सही से पहुँचे..सभी सलाहकारों ने
मिलकर समझदारी भरी बातों पर कई सारी बेहतरीन किताबें लिखीं और उसे राजा के सामने
पेश किया.. राजा को किताबें
बहुत पसंद आयीं लेकिन उन्हें वो बड़े ग्रन्थ के समान बहुत
भारी भरकम लगीं.. उन्होंने सलाहकारों से कहा कि लोग इतने मोटे किताबों को नही पढ़
पायेंगे, इसलिए इन्हें छोटा करके लाइये..सभी सलाहकार पुनः अपने कार्य में लग गए और
उन्होंने कई किताबों को समेटा और उसका छोटा रूप बनाकर उसे एक किताब के रूप में राजा
के सामने पेश किया..लेकिन राजा को वह भी बहुत बड़ा लगा.. अब सलाहकारों ने उसे बहुत
छोटा कर दिया और उसे सिर्फ एक अध्याय के रूप में पेश किया लेकिन राजा को वह भी
काफी लंबा लगा.. फिर भी सलाहकारों ने हार नही मानी उन्होंने उसे और छोटा किया और राजा
के सामने केवल एक पन्ना लेकर आये लेकिन हमेशा की तरह राजा के मुह से न शब्द ही
बाहर निकला.. लेकिन इस बार सलाहकारों ने राजा के सामने बस एक वाक्य रखा ,और राजा
उस वाक्य से संतुष्ट हो गए.. राजा ने सलाहकारों से कहा कि अगर आने वाली पीढ़ी तक
समझदारी का केवल एक वाक्य पहुचाना हो तो वह इसी वाक्य को सबके सामने पेश करेंगे,- “भोजन
मुफ़्त में नही मिलता..”
मित्रों “भोजन मुफ़्त
में नही मिलता” का मतलब है हम कुछ दिए बिना कुछ पा भी नही सकते दूसरों शब्दों में
हम कह सकते हैं जो हम लगाते हैं वही हम पाते हैं.. अगर हमने बबूल का पेड़ लगाया है
तो हमे आम खाने को नसीब नही होगा.. हम जो भी लगाते हैं वही हमे वापिस मिलता
है..लेकिन हमारे समाज में ऐसे मुफ्तखोरों की कमी नही जो कुछ किये बिना ही कुछ पाने
की उम्मीद करते हैं.. यदि आपने मेहनत की है तो फल मिलना अनिवार्य है बस धैर्य
रखिये पर बिना कुछ किये पाने की उम्मीद मत रखिये क्योंकि अब आपको पता है “भोजन
मुफ़्त में नही मिलता..”
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