2015 इस नव वर्ष में देश के
लोगों ने जो सबसे बड़ी उम्मीदें और सपने संजोए हैं उन्ही उम्मीदों के बारे में आज
हम यहाँ बात करने जा रहे हैं.
उम्मीद (1.) कालेधन की वापसी:-
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने सबसे पहला मुद्दा कालेधन को
लेकर ही
उठाया था और उन्होंने कहा था कि ‘भारत के गरीब का पैसा जो बाहर गया है वो पाई-पाई
वापिस आना चाहिए ये मेरा कमिटमेंट है’. और कालेधन कुबेरों कि सूची सरकार ने
सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है इसकी एस.आई.टी. जाँच कर रही है आदरणीय प्रधानमंत्री
के घोषणा पत्र से इसकी एक उम्मीद भी जागी है. सभी देशवासी अब यही उम्मीद कर रहे हैं
कि कालेधन का पहला किस्त इस 2015 में हिन्दुस्तान आ जाये.
उम्मीद (2.) आतंक मुक्त देश, आतंक मुक्त दुनिया:- मजहबी
पागलपन जब दिल और दिमाग के सभी बन्धनों को तोड़ देता है तब बंदूकें सिर्फ गोलियाँ
बरसातीं हैं.उसके लिए एक मासूम बच्चा और जंगली भेड़िया अलग नही होते. 2014 के
जाते-जाते हिंदुस्तान को भी आतंक ने छल्ली किया, बेंगलुरु धमाके में एक महिला की
जान चली गयी. काश 2015 उम्मीदों भरा ऐसा सवेरा लाये जहाँ दुनिया आतंक के पंजों से
आजाद हो जाये. सब लोगों की उम्मीद है कि 2015
भारत पाकिस्तान के रिश्तों का नया साल बने, एक ऐसा वर्ष जिसमे दुश्मनी के
तमाम पिछले वर्ष गूम होते चले जाएँ. सीमा पर संगीनो के साये अमन की धुप में खत्म
हो जाएँ . कुछ बात चले कुछ बात बने एक ही मुल्क के दो हिस्सों में कोई नया संवाद
चले. बात विकास की हो बात व्यापार की हो, बात आवाजाही मेल-मुलाकातों की हो, क्रिकेट
और हॉकी के मैदान पर हो, कुश्ती के अखाड़ों में मिलें, भारत को पाकिस्तान जाते हुए
सोचना न पड़े, पाकिस्तान को भारत आते हुए पीछे पलटकर देखना न पड़े.. सीमा की रेखाएं
सौहार की ऊष्मा में पिघल जाएँ, एक नई शुरूआत हो जहाँ पिछली तमाम अदावतें भुला दी
जाएँ. ये कोई खाम-ख्याली नही खूबसूरत सी उम्मीद है इसे हकीकत की जमीन पर उतारना और एक
नए रिश्ते में तब्दील करना बखूबी मुमकिन है. बस दोनों मुल्कों को एक नई सोच के
साथ चलना होगा. एक कदम पाकिस्तान चलेगा तो दो भारत को बढाना होगा.
उम्मीद (3.) 2015 में न डराए महंगाई डायन:- उम्मीद करते
हैं 2015 में गरीबों की थाली से आलू गूम नही होगा, प्याज किसी को नही रुलाएगा, टमाटर
की लाली आँखों में चुभेगी नही.. जिस तरह से पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार कम
हो रही है वो सिलसिला आगे भी बना रहे, अर्थव्यवस्था मजबूत हो, रूपये की ताकत बढे
और उसे हम डॉलर के मुकाबले में दमदार होते दिखें..
उम्मीद (4.) सुरक्षित हो महिलाओं का सम्मान:- आशा हो ऐसे
हिंदुस्तान की जहाँ महिलाएं, लड़कियां, बच्चियां बेखौफ साँस ले सकें, जहाँ
अपराधियों में कानून का खौफ हो, जहाँ नारी का सम्मान हो.
किसी की बेटी, किसी
की बहन, किसी की पत्नी आखिर एक जिश्म भर तो नही, एक रूह भी है, जिससे जुडी हैं न
जाने कितनी जानें.. 2015 से बड़ी उम्मीद है.
दिल्ली, मुंबई,
बैगलौर जैसे महानगरों के चौड़े रास्ते ही नही, गांव देहात और कस्बों की कसमसाती
सड़कों पर भी उन्हें आजादी से, इज्जत से फिरने का हक हो. स्कुल-कॉलेज में उन्हें
कभी सुरक्षा की चिंता ही न सताए. कभी कोई लड़की, महिला देर रात घर लोटते हुए खौफ
में डूबी न हो, उसे बसों में चलते हुए कोई फिक्र न सताए. काम से लौटते हुए कैब में
आती नींद को अपनी आरजू बचाए रखने के लिए भगाना न पड़े. ये डर उसे रह-रहकर न सताए कि
भूखे भेडिए की निगाह उसका पीछा कर रहे.
महिला सुरक्षा के
नाम पर बातें तो बहुत हुई लेकिन अब उसे अमल में लाना होगा बात सुरक्षा, कानून सजा
की नही जागरूकता ज्यादा बड़ी है ये सन्देश सबको पहुचाना ही होगा, देश की आधी जनता
जिसे हम महिला कहते हैं उसके हिस्से की धरती उतनी ही बड़ी है जितनी कि पुरुषों की
और उसके हिस्से का आकाश भी उतना ही अनंत है जितना पुरुषों का.. काश 2015 का आसमान
ऐसा ही हो!
उम्मीद (5.) देश में दौड़े बुलेट ट्रेन:- काश कि अब ट्रेन
कभी लेट न हो, काश कि मुसाफिरों को मिले लजीज खाना. देश के आम आदमी की सवारी,
लेकिन एक सिट के लिए कितनी मारामारी, कन्फर्म नही हुआ टिकट वो समस्या भी बड़ी विकट.
कभी खराब खाना, कभी ट्रेनों का लेट आना. कहीं प्लेटफोर्म पर कूड़ा ट्रेन में गंदगी
का अम्बार है रेल में सफर करना दुस्वार है. 2015 के साल में जनता को बहुत उम्मीद
है कि सुधर जायेगा रेलवे का हाल, हे प्रभु करोड़ों मुसाफिरों के अरमानो का रखियेगा ख्याल.
जिस रूट पर भीड़ अपरम्पार हो, उस रूट पर ट्रेनो की भी भरमार हो. अपने टिकट का हक
अपने पास हो, दलालों के रैकेट का नाश हो. रेल का सफर बन जाये सुहाना जब ट्रेन में
भी मिले लजीज खाना. सभी ट्रेनों के आवाजाही का वक्त सेट हो, कोई ट्रेन कभी न लेट
हो. सुविधाएँ और भी हो जाएँ हाई-फाई, स्टेशन और ट्रेन में भी मिले वाई-फाई. ट्रेन
और प्लेटफोर्म हो साफ सुथरे, मुसाफिरों की आदतें भी थोड़ी सुधरे. म गंदगी फैलाएं न
फैलाने दें ट्रेन को साफ़ बनाने दें. सुधारों के वो काम जो सबसे जरूरी हो लेकिन
2015 में मुसाफिरों की सभी मांगें पूरी हों.
2015 में दौड़ सकती
है बुलेट ट्रेन.
उम्मीद (6.) Make in India:- श्री नरेन्द्र मोदी जी के
सबसे क्रान्तिकारी नारे में से एक है मेक इन इंडिया का नारा. विदेशी कंपनियों को को
भारत में व्यवसाय के लिए न्यौता दिया जा चूका है. अब आशा करते हैं 2015 में सब
पधारें हमारे देश. भारत तमाम उत्पादों को बनाने का केंद्र बने और दुनिया के हर कोने
से दूसरे देश के लोग अपने प्रोडक्ट को भारत में बनाएँ. उम्मीद है इस वर्ष मेक इन
इंडिया का सपना साकार हो और इससे देश की आर्थिक स्थिति में बहुत बढ़िया सुधार आएगी.
उम्मीद (7.) दिल्ली में बने स्थायी सरकार:- दिल्ली वालों की पहली उम्मीद जल्द से जल्द एक
स्थायी सरकार बनाने की है. दिल्ली को एक लोकतान्त्रिक सरकार मिलना ही चाहिए, जो
देश की राजधानी है उसका इतनी देर राष्ट्रपति शासन के नीचे रहना सही नही. सरकार
जिसकी भी बने लोग इस बार एक स्थायी सरकार देखना ही चाहेंगे.
उम्मीद (8.) भारत में बनेंगे स्मार्ट सिटी:- हर सर के
निचे छत हो और कोई न बेघर हो. 100 स्मार्ट सिटी का लक्ष्य, 2022 तक सबके लिए
आवास.. इस पर हम उम्मीद कर सकते हैं कि इसकी शुरूआत २०१५ से की जायेगी.
उम्मीद (9.) स्वच्छ बने भारत:- 2 अक्टूबर 2014 से सफाई
अभियान जोरों पर चल रहा है, माँ गंगा को स्वच्छ बनाने को लेकर बहुत पहले से इस पर
शुरूआत की जा चुकी है. 2015 पर यही उम्मीद की जा रही है कि देश में गंदगी का
नामोनिशान न होगा लेकिन इसके लिए आपको भी जुटना होगा. गंदगी दूर करने के लिए अपनी
तरफ से भी श्रम दान देना होगा. सरकार की और हम सबकी चाहत 2015 में स्वच्छ बने भारत..
उम्मीद (10.) भारत फिर बने विश्व चैम्पियन:- टीम इंडिया
का फिर से यही इरादा है, विश्व चैम्पियन बनाने का वादा है. और इस साल की सबसे बड़ी
उम्मीद यही है. क्या बात होगी जब हम लगातार दूसरी बार विश्व चैम्पियन बन जाएँ.. *