औरों से उत्तम बातें सीखकर उन्नत बनो। जो सीखना नहीं चाहता वह तो पहले से मर चूका है।
-स्वामी विवेकानंद।
साहस न छोडो, शुद्ध अमृत अप्राप्य हो तो कोई कारण नहीं कि हम विष खा लें।
-स्वामी विवेकानंद।
धैर्यहीन व्यक्ति कभी भी सिद्ध नहीं हो सकता।
-स्वामी विवेकानंद।
हर एक काम में सफलता प्राप्त करने से पहले सैकड़ों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जो उद्यम करते रहेंगे वो आज या कल सफलता को देखेंगे।
-स्वामी विवेकानंद।
हम जितना ज्यादा बाहर जाएँ और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें बसेंगे।जो इंसान खुद के बारे में सोचने से पहले दूसरों की भलाई के बारे में सोचता है, जिसका लक्ष्य कभी भी स्वार्थीपन नहीं होता, जो स्वयं के लिए इसलिए जीना चाहता है ताकि उसकी जिंदगी दूसरों की सेवा में लगा सके, हमेशा दूसरों का भला कर सके। ऐसे इंसान का मन हमेशा शुद्ध होता है, उसके मन में कभी किसी चीज के लिए लालच नहीं आती और ऐसे इंसान के ह्रदय में भगवान वास करते हैं।
-स्वामी विवेकानंद।
एक विचार लो, उस विचार को अपनी जिंदगी बना लो। उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो, उस विचार को जियो। अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर एक हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो। यही सफलता प्राप्त करने का रहस्य है।एक लक्ष्य निर्धारित कीजिये, उसी लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कीजिये। अपना पूरा फोकस उस लक्ष्य हासिल करने में लगाइये। लगातार सोते-जागते, उठते-बैठते उस लक्ष्य के बारे में सोचिये, उसके लिए सपने देखना शुरू कीजिये। याद रखिये विचार ही जिंदगी बनाते हैं, आपके सोचने का नजरिया ही आपकी कामयाबी तय करता है। यदि आपके विचार को हकीकत में तब्दील करना है तो उसके लिए आपको Action लेना होगा। मन-मष्तिष्क को कंट्रोल में करना होगा,आपका मन हमेशा भागने की कोशिश करेगा लेकिन आपको उसे नियंत्रित करके रखना होगा। शरीर के हर एक पार्ट को उस विचार के पीछे लगाना होगा। आपके खुद से किये गए सफल होने की कमिटमेंट के बाद आपके सामने बहुत सारे अन्य विचार भी आएंगे लेकिन यदि आपको सफलता प्राप्त करनी है तो सिर्फ एक लक्ष्य और एक विचार के साथ ही आगे बढ़ना होगा और अन्य विचारों को मष्तिष्क से किनारे करना होगा। लक्ष्य और विचार स्पष्ट होने चाहिए ताकि आपको अपनी सही दिशा का पता चल सके।
-स्वामी विवेकानंद।
उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।यदि आप हिम्मत हारकर बैठ गए हैं, उदास होकर आंसू बहा रहे हैं तो उठ जाइए, जाग जाइए अपने उसी लक्ष्य को निहारिये, भले ही कितनी ठोकरें आपने क्यों न खाई हो लेकिन दोबारा फिर से एक नई शुरूआत कीजिये। इस बार आप रुकेंगे नहीं, थकेंगे नहीं और तब तक डटे रहेंगे जब तक आप अपनी मंजिल तक न पहुँच जाएँ। लक्ष्य प्राप्त किये बिना थक कर बैठ जाना आपके सपने को कभी पूरा नहीं होने देगा। हिम्मत के साथ उठिए और इस बार सफल होकर दिखाइए।
-स्वामी विवेकानंद
बस वही जीते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं।हमारी लाइफ इतनी भी लम्बी नहीं कि हम अपने लिए ही जीते चले जाएँ। अपने लिए ही जिंदगी को जीना सही मायने में जिंदगी को काटना है इसका मतलब यह नहीं कि सचमुच आप अपनी लाइफ को एन्जॉय कर रहे हैं। असल बात यह है कि आपके कारण किसी दूसरे की आँखों में झलकने वाली ख़ुशी आपके लाइफ की सबसे बड़ी ख़ुशी है। हम पहले से ही खुद के बारे में ही सोचते आ रहे हैं इसलिए इस ख़ुशी का अंदाजा हमें मालूम नहीं है लेकिन जिस दिन हम दूसरों के लिए जीना सीख जाते हैं बस उस दिन समझ जाते हैं की यही है असली जिंदगी।
-स्वामी विवेकानंद।
जो तुम सोचते हो वो हो जाओगे। यदि तुम खुद को कमजोर समझते हो तो तुम कमजोर बन जाओगे लेकिन अगर तुम खुद को ताकतवर समझते हो तो तुम ताकतवर हो जाओगे।पूरी दुनिया इस सोच के दम पर ही चलती है। हम आज जो कुछ भी हैं या कल जो कुछ भी बनेंगे वो सब हमारी सोच का परिणाम है। आपके सोचने का तरीका ही आपकी सफलता तय करता है इसका उल्टा आपके सोचने का तरीका ही आपकी असफलता को डिफाइन करता है। यदि आप पॉजिटिव सोचते हैं तो रिजल्ट पॉजिटिव आएगा और यदि नेगेटिव सोचते हैं तो रिजल्ट नेगेटिव। ये एक साईंस भी है, क्योंकि हम जैसा सोचते हैं उसकी के अकॉर्डिंग एक्ट करते हैं। Negative thinking के साथ आगे बढ़ेंगे तो उसका Result Failure की तरफ जायेगा और Positive thinking के साथ आगे बढ़ेंगे तो उसका Result Success के रास्ते तक हमें लेकर जायेगा।
-स्वामी विवेकानंद।
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